स्वर स्वामिनी मां मैं तुमको रिझाऊं,
जो तुमको अराधे वही गीत गाऊं,
स्वर स्वामिनी मां.....
सा से सजा दो, मेरी वन्दना को,
रम जाए रे से, वो भाए जहां को,
ग गुनगुनाऊं सदा तेरी वाणी,
म से मैया तेरा प प्यार पाऊं,
स्वर स्वामिनी मां...
ध से तुम्हीं धन, हो ऐ स्वर की दाता,
तुम्हीं हो पिता मेरे, तुम ही हो माता,
नि से निकल जाऊं, हर कशमकश से,
मैं भी "श्याम" संगीत में मान पाऊं,
स्वर स्वामिनी मां मैं तुमको रिझाऊं,
जो तुमको अराधे वही गीत गाऊँ,
स्वर स्वामिनी मां.....
लेखक : श्यामसाजन