श्याम सा दानी जगत में और दूजा है नही,
और दूजा है नही रे और दूजा है नही,
मांग लो मेरे यार श्याम से ये कभी नटता नही,
बेठा है दरबार लगा के आजमा के देख लो ॥
हार के जो भी आ जाए खाली वो जाता नही,
श्याम सा दानी जगत में......
सबको एक तराजू से तू तोले खाटू वाला संवारा,
सब है नजरो में बराबर फर्क ये करता नही,
श्याम सा दानी जगत में........
सेठ संवारा बाँट रहा है चाहे जितना लूट लो,
देने पर जब ये आ जाये कंजूसी ये करता नही,
श्याम सा दानी जगत में........
अपना सब कुछ देने वाला ना कभी इनकार करे,
दीनू इन्दोरिया लख दात्री और दूजा है नही,
श्याम सा दानी जगत में...........