साँवरा सेठ मेरा मुझे हर पल संम्भाले,
मेरा परिवार सारा, सदा इसके हवाले…….
मेरे सुख दुःख का साथी, मेरा ये हमसफ़र है,
मेरे घर की रखवाली, करे आठों प्रहर है,
मेरे संकट ये हरता, मेरी बाधाएँ टाले…..
ये जीवन डोर सौंपी, मैंने हाथों में इसके,
इतना कास के ये पकड़ा, कैसे थोड़ी सी भी खिसके,
छत्र छाया में इसकी, उजाले ही उजाले…
जहाँ ले जाये मुझको, वहाँ मैं जा रहा हूँ,
सलौने साँवरे की, कृपा मैं पा रहा हूँ,
इसके देने के देखे, तरीके हैं निराले…..
मस्तियाँ लूटता है, जो है इसके भरोसे,
नहीं भण्डार घटता, जहाँ बाबा परोसे,
है सिर पे हाथ इसका, " बिन्नू " जम कर मज़ा ले…