दरबार अधुरा बाबा का हनुमान के बिना,
फागुन अधुरा सूरजगढ़ निशान के बिना,
कहती है दुनियां सारी है ध्वज की महिमा न्यारी,
और राह देखते इसकी देखो खुद श्याम बिहारी,
है भगत अधुरा जैसे भगवान के बिना,
फागुन अधुरा....
कई शहर घूमके जाता फिर खाटू धाम को आता,
और शिखर बंद पे सदके मेले की शान बडाता,
परिवार अधुरा जैसे संतान के बिना,
फागुन अधुरा....
अब ऋषि इत्नु तू चाहे जीवन को धन्ये बनाना,
जब भी मौका मिल जाए सूरजगढ़ जरुर आना,
दातार अधुरा जैसे कन्या दान के बिना,
फागुन अधुरा.....