जितना दिया सावरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
रखली तूने बात ओ प्यारे,
मुझमे तो कोई बात ना थी,
जितना दिया सावरिया तूने
ओ संवारे ओ संवारे जपते रहे गये तेरा नाम सँवारे,
पड़ गया मेरा दामन छोटा इतना दया का दान दिया,
दी अपनी भक्ति की शक्ति मान दिया सम्मान दिया,
लाख दातार तेरा शुकराना श्री चरणों का ध्यान दिया,
बिन पतवार की नाव था मैं जब डोर मेरी तेरे हाथ ना थी
रखली तूने बात ओ प्यारे,मुझमे तो कोई बात ना थी
बदल गई तकदीर की रेखा दर तेरे शीश झुकाने से,
शीश के दानी शीश उठा कर अब मिलता हु ज़माने से,
बेगाने भी हो गये अपने अपना तुझे बनाने से,
नैन बरस ते थे जब तेरी करुना की बरसात ना थी,
रखली तूने बात ओ प्यारे,मुझमे तो कोई बात ना थी
दीप जले संदीप के मन में जब से तुम्हारी रहमत के,
लाख दातार खुले रहते है तबसे दवार किस्मत के,
मौज में है हम बनके भिखारी श्याम तुम्हारी चोकथ के,
हम थे अकेले आगे पीछे खुशियों की बरात ना थी,
रखली तूने बात ओ प्यारे,मुझमे तो कोई बात ना थी