तेरी तुलना किससे करू माँ तुझसा और ना कोई,
जब जब टुटा मेरा खिलौना मुझसे पहले तू रोइ,
तेरी तुलना किससे करू माँ,
जब मैं रोया फुट फुट कर बातो से बेहलाई,
थपकी देकर लोरी सुना कर पलकों पे है झुलाये,
जब तक सोया मैं ना चैन से तब तक सुना सोइ,
तेरी तुलना किससे करू माँ........
कितने दर्द सहे है तूने होठ पे उफ़ ना लाइ,
खून पीला कर पाला मुझको दुःख से नहीं गबराइ,
मैं खोया अब अपने खाबो में तू मेरे ख्याल में खोई,
तेरी तुलना किससे करू माँ..............
मेरे हासने पे हस्ती है रोने पे रोती है,
फिर भी समज नहीं मैं पाया माँ कैसी होती है,
अपनी हर सांसो पे तूने दुनिया मेरी संजोहि,
तेरी तुलना किससे करू माँ......
खोकर फिर से मिल जाता है दुनिया का सुख सारा,
अगर हाथ से माँ जो निकली मिलती नहीं है दुबारा,
जिसने हर पल पीड़ा मेरी अपने दिल पे धोई,
तेरी तुलना किससे करू माँ......