अंबे मैया जी का द्वारा

अंबे मैया जी का द्वारा चार धामों से है न्यारा,
इस सारे जहां में दूजा के मैया जैसा और नहीं,

जाति आते हैं दर्शन को छुले मां के कमल चरणों को,
इस सारे जहां में पूजा के मैया जैसा और नहीं,                                  

दर पर आती हैं भक्तों की टोलियां,
उनकी होती है न्यारी न्यारी बोलियां
दूर करती है सबकी कमजोरियां,
मां भारती है सबकी ही झोलियां,
माँ ने भव से हजारों को तारा,
पापी भक्तों को जग से उबारा
भार पृथिवी का माँ ने है उतरा,
महिषासुर को भी मैया जी ने मारा,
तेरी जय हो अंबे माई जिसमे याद किया तू आई.
इस सारे जहान में दूजा के मैया जैसा और नहीं,

द्वार तेरे की सुन के मशहूरियाँ है दर पर आई हूं तय करके दूरियां
ना लाई मैं हलवा चना पूरियां कैसे बतलाऊं मामा मजबूरियां,
मेरी बिगड़ी बना दे तो मैं जानू पार हमको लगा दे तो मैं जानू,
गम कब तक पढ़ेंगे उठाने और कब तक रहेंगे बेगाने,
तेरी जय हो अंबे माई जिस ने याद किया तू आई,
इस सारे जहान में दूजा की मैया जैसा और नहीं

मैया तूने हमें भुला ना तेरा दर है मां मेरा ठिकाना,
मेरी छोटी मोटी गलतियां मेरी मैया माफ करना,
मैं अगले बरस फिर आऊंगी तेरी लाल चुनरिया लाऊंगी,
तब सारे भगता देखे गे,मेरी मैया सजेगी शेरों वाली,
तेरी जय हो अंबे माई जिस ने याद किया तू आई
इस सारे जहां ने पूजा के मैया जैसा और नहीं

 
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