अम्बे जी भैरुनाथ जगावे,
भवानी ने भैरुनाथ जगावे,
मैया जी भैरुनाथ जगावे,
लटपट पेच सिराने लटके,अंत्र सुगंध ही आवे।
कर अति कोप पवन को पकड़े' पवन सुगंध प्रकटावे॥
भवानी ने भैरुनाथ जगावे.....
लटपट करत धरनी पर लोटत,रुक रुक कर करुणावे।
कर जोड़ा अति विनती करत है, भक बकरा रो भावे॥
भवानी ने भैरुनाथ जगावे....
म घम करत गुघरा गहरा, दम दम डमरू बजावे।
माँ इंद्रेश अर्ज सुन मेरी , रम्बी रसमा चढ़ावे॥
भवानी में भैरुनाथ जगावे......
आवड़ रूप नयन उगाड़ो,महीपति सरने आवे।
इंद्रा झूरे बारे सन्मुख बैठे , देव पुष्प बरसावे॥
भवानी भैरुनाथ जगावे.....
इंद्र नाथ जब नयन उगाड़े’ देव पुष्प बरसावे।
कह हिगलाज दान शुद्ध कीरत‘ बुद्धि जी ने सुयश बनावे॥
मैया जी ने भैरुनाथ जगावे......
गायक गोपजी राजपूत
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