सारे कण लाके सुनो जगराते वाली गल,
बाकि दियां गलना कर लियो कल,
दूजी गल न करो कोई होर भगतो,
आज माँ दे सूटदियो डोर भगतो,
सब फिकरा दी छड़ दियो डोर भगतो
जेहड़ा बैठ जगराते विच मैया न धयोंदा है,
दिन्दी माँ जरूर जो भी ओहदे हिसे आंदा है,
मेरी गल उते करो गौर भगतो,
आज माँ दे सूटदियो डोर भगतो,
सब फिकरा दी छड़ दियो डोर भगतो
खुशियां दा दिन चलो खुशियां मना ली,
उठो जगराते विच भंगड़े भी पा ली,
किते लभनी न ऐसी ख़ुशी होर भगतो,
आज माँ दे सूटदियो डोर भगतो,
सब फिकरा दी छड़ दियो डोर भगतो
ऐसी ताड़ी मारो सुख भूल जान बात वे,
पता लग जावे आज एथे जगराता वे,
भारती न जन्दी लोड भगतो,
आज माँ दे सूटदियो डोर भगतो,