जय जय श्री अम्बे जगदम्बे शरण हम तेरी आये है,
जय जय श्री अम्बे जगदम्बे शरण हम तेरी आये है,
मोको दो भक्ति का दान मात ये माँगने आये है,
माँगने आये है मात ये माँगने आये है,
जय जय श्री अम्बे जगदम्बे शरण हम तेरी आये है,
जय जय श्री अम्बे जगदम्बे......
विराजे अगं सुआ चोला, सजा है सुन्दर क्या डोला,
बिन्दी का श्रगांर माँ को ध्याये है, जय जय श्री अम्बे जगदम्बे....
शीश पर छतर विराजे है, कान मे कुण्डल साजे है,
गल हीरन को हार सब शशि देख शरमार्ये है,
जय जय श्री अम्बे जगदम्बे....
सिंह की करती असवारी, योगिनी सगं चले सारी,
हनुमत चले आघारी भैरव झवंर झुलाये है,
जय जय श्री अम्बे जगदम्बे.....
तुम्ही ने बन कर रण चंडी, मार दिये पापी पाखंडी,
चंड मुंड महिषासुर ने मार यमलोक पहुंचाये है,
जय जय श्री अम्बे जगदम्बे.......
तुझे अकबर ने अजमाया, लटा पे तवा था चढ़वाया,
ज्वाला जी की जोत ना अब तक बुझने पाए है,
जय जय श्री अम्बे जगदम्बे......
मै तेरा सेवक हुँ नादान, हां माई मेरी रखियो इसका ध्यान,
बड़े बड़े पापी भी तुने पार उतारे है, जय जय श्री अम्बे जगदम्बे....