हम कबसे खड़े है

पलके बिछाई है हमने दीदार के लिए,
हम कबसे खड़े है सावरिया सरकार के लिए

सुन कर के तेरी महिमा हम बहुत दूर से आये,
तुम हो हारे के सहारे हम हार के दर पे आये,
दो अशुवन मोती लाये लखदातार के लिए,
हम कबसे खड़े है सावरिया सरकार के लिए

मेरी और नहीं कोई ईशा करवले जितनी प्रतिक्षा,
बस इतनी विनती बाबा मेरी ना ले परीक्षा,
बस इतनी मरहबानी हो अपने यार के लिए,
हम कबसे खड़े है सावरिया सरकार के लिए,

आलू सिंह जी का प्यारा तू श्याम का बना सहारा,
अगर राषिक बना ले अपना फिर दूर नहीं है किनारा,
मैं पुष्प प्रेम का लाया अपने यार के लिए,
हम कबसे खड़े है सावरिया सरकार के लिए
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