कभी देखा न ऐसा दरबार देखलो,
देखो देखो जी खाटू की बहार देखलो,
संगमरमर झड़ी वो हवेली खड़ी यहाँ सज कर के बैठे है श्याम धनि,
पहने बागा निराला गले बैजंती माला जिनके हाथो में सोहे मोरे छड़ी,
जिनके झाड़े का तू भी चमत्कार देखो,
देखो देखो जी खाटू की बहार देखलो,
प्यारा पेचा सजा माथे टीका लगा,
जो भी निरके वही रह जाता ठगा,
भरा मेला विशाल उड़े रंग और गुलाल,
यहाँ देखो वही लहराए ध्वजा,
श्याम भक्तो की लम्बी कतार देखलो,
देखो देखो जी खाटू की बहार देखलो,
सारी दुनिया चली सँवारे की गली,
जाने वालो के फागुन में किस्मत खुली,
काम बनते यहाँ कष्ट मिटते यहाँ,
हर्ष खिल जाती भक्तो के मन की कली,
देखो देखो जी खाटू की बहार देखलो,