मन को पावन कर दो गंगा,
जीवन कलश को धो धो गंगा,
हर हर गंगे मैया जय जय गंगे मैया,
करती हो शता से तेरी पूजा,
मन को पावन कर दो गंगा,
भागीरथ की देख तपस्या देव लोक से धरती पर आई,
ब्रह्मा कमण्डल विष्णु चरण तज गंगा विष्णु की जता में समाई,
बहती अमृत जल की धारा नव जीवन देकर तूने तारा,
हर हर गंगे मैया जय जय गंगे मैया,
करती हो शता से तेरी पूजा,
मन को पावन कर दो गंगा,
गो मुख से तू चल कर आती तट को तीर्थ बनाती है,
यमुना सरस्वती से मिल कर के प्रलाह्द की महिमा बड़ा ती है,
अमृत घट का अमृत देकर जग पावन कर देती है,
हर हर गंगे मैया जय जय गंगे मैया,
करती हो शता से तेरी पूजा,
मन को पावन कर दो गंगा,