बांह पकड लो मेरी बालाजी

तर्जः भला किसी का कर

बाँह पकड़ लो मेरी बालाजी, मैं निर्बल कमजोर घना 2
सबकी बिगड़ी पल मे बनाते, मेने भक्तौ से है सुना 2
बाँह...

बाल रूप में बाला जी तेरा, मेहंदीपुर दरबार सजा
शीखर तेरे मंदिर के केशरी, लहराये है सुंदर ध्वजा ] 2
माया तेरी कौई समझा नही, सबके कारज दिये बना
सबकी...

सुबह शाम में भवन बूहारू, नित दिन करूं तेरी सेवा
कौई नही मेरा तेरे सिवा जो, हो कौई मेरी सुद लेवा ] 2
अहो भाग्य है उस मैया का, जिस मैया ने तुमको जना
सबकी...

राम नाम का सुमिरन करते, हाथो मे खड़ताल लिये
जाने कितने भक्तौ को बाबा, तुमने भव से तार दिये ] 2
चारो दिशा मे घुम घाम के, संजय ने आज तुमको चुना
सबकी...
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