जो करुनाकर तुम्हारा बृज मे फिर अवतार हों जाये

जो करुणाकर तुम्हारा बृज में फिर अवतार हो जाये,    
तो भक्तो का चमन उजड़ा हुआ फुलजार हो जाये,

गरीबो को उठालो साँवले गर अपने हाथों मे,
तो इसमें शक नही दिनों का जिर्णोउद्धार हो जाए,
जो करुणाकर तुम्हारा............                                                    

लुटाकर दिल जो बैठे है ओ रो रो के कहते है ,
किसी सूरत पे सुन्दर श्याम का दीदार हो जाये,
जो करुणाकर तुम्हारा............  

बजा दो रसमयी अनुराग की वह बाँसुरी अपनी,
की जिसकी तान का हर तन मे पैदा टार हो जाये,
जो करुणाकर तुम्हारा............    

पड़ी भवसिंधु मे दिनों के दृग बिंदु की नैय्या,
कन्हैया तुम सहारा दो तो नैया पार हो जाये,
जो करुणाकर तुम्हारा..........

श्रेणी
download bhajan lyrics (994 downloads)