इक बरसाने की छोरी से मेरे लड़ गए नैना छोरी रे
उस की झील सी आँखों ने क्या जादू मुझपे डाला है
उड़ गई नींद मेरी आँखों से हुआ ये मन मतवाला है
मेरी खुद पे काबू राहा नही
मैं जब से मिला उस गोरी से
इक बरसाने की छोरी से मेरे लड़ गए नैना छोरी रे
ऐसा लगता है मेरा उस से जन्म जन्म का रिश्ता है
अब उस बिन न रेह पाऊ क्यों ऐसा मुझको लगता है
मेरा उस से प्रेम हुआ ऐसे जैसे के चाँद चकोरी से
इक बरसाने की छोरी से मेरे लड़ गए नैना छोरी रे