जब चारो और अँधेरा हो

जब चारो और अँधेरा हो,
साई का द्वीप जला लेना,
जब चारो और अँधेरा हो,

छोड़ भी दे ज़माना तो परवाह न कर,
वो तेरे साथ है तो जहां साथ है,
बस गुजर जायेगा तेरा हर मरहला,
तेरे हर दौर में साई का हाथ है,
जितना भी गमो में डेरा हो,
साई का द्वीप जला देना,
जब चारो और अँधेरा हो,

साई का द्वीप जला लेना चाहे,
शाम हो चाहे सवेरा हो,
साई का द्वीप जला लेना,
जब चारो और अँधेरा हो

तुझको जीना है जी सबर के घुट पी,
शुक्र कर तू के ये ज़िंदगी हिल गी,
शुक्र कर तू की तूफ़ान हज़ारो मिले,
शुक्र कर तू  की साई की शरण मिल गी
जिस हाल में तेरा वसेरा हो,
साई का द्वीप जला लेना,
जब चारो और अँधेरा हो
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