नजर कर्म तुझपर भी साई कर देंगे नादान
इक वार तो साई रूप को मन से जरा पहचान,
बोलो साई राम बोलो साई राम जय जय साई राम,
दर दर भटक रहा क्यों तू सीधा मंजिल पाए,
साई के चरणों में आकर अपना शीश झुकाये,
जीवन की हर मुश्किल साई कर देने आसान,
इक वार तो साई रूप को मन से जरा पहचान,
बोलो साई राम बोलो साई राम जय जय साई राम,
साई चरणों के अमृत को आज मुख से लगा लो,
जन्म मरण की मुक्ति को तू आज इसी पल पा ले,
बैठ के साई के चरणों में ले ले साई ज्ञान,
इक वार तो साई रूप को मन से जरा पहचान,
बोलो साई राम बोलो साई राम जय जय साई राम,
किस को अपना कहता जग में झूठे सब नाते है,
इक न इक दिन तो दुनिया में सारे बिछड़ जाते है,
छोड़ दे शर्मा रिश्तो को सब झूठा ये अभिमान,
इक वार तो साई रूप को मन से जरा पहचान,
बोलो साई राम बोलो साई राम जय जय साई राम,