साई दर पे जो सिर को झुकाये,

साई दर पे जो सिर को झुकाये,
उस को साई गले से लगाए,

साई जी का जो भी दीवाना हो गया उसके कदमो में सारा ज़माना हो गया,
आती न उसको कभी मुश्किल जिस के लव पर तेरा ही तराना हो गया,
साई दुबे को पार लगाए साई सबको गले से लगाये,
साई दर पे जो सिर को झुकाये,

परदे से बहार तू निकल के आ,
एक बार हम को तू जलवा दिखा,
तरस रही है ये आँखे मेरी आके तू आखो से पर्दा हटा,
तूने सबको है जलवे दिखाए साई सबको गले से लगाये,
साई दर पे जो सिर को झुकाये,
 
तेरे बिना साई गुजरा नहीं तेरे बिना कोई हमारा नहीं,
रूत गए अगर बाबा तुम बिन जहां में सितारा नहीं,
लव कुश तेरा सदा गुण गाये साई सबको गले से लगाये,
साई दर पे जो सिर को झुकाये,
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