मेरा हाथ पकड़ ले साई और शिरडी ले कर चल,
इस मन को वश में करलो ये मन है ये बड़ा चंचल,
मेरा हाथ पकड़ ले साई और शिरडी ले कर चल,
पल पल ये उड़ता जाए मेरे हाथो में नहीं आये,
मैं इसे कैसे इसको सँभालु मुझे अपने साथ नचाये,
तुम अपनी भक्ति दे कर मेरा मन करदो निर्मल
मेरा हाथ पकड़ ले साई और शिरडी ले कर चल,
हाल सभी के दिल का बाबा जाने है मेरे साई,
थोड़ी सी मेरे मन पर करदो अपनी सी करुणाई,
तेरे पास है मेरे बाबा मुश्किलों का हल,
मेरा हाथ पकड़ ले साई और शिरडी ले कर चल,
तेरी शरण में आकर साई जीना इसको आएगा,
भटक रहा दुनिया में मन चैन बड़ा वो पायेगा
तुम इस के सिर पे रख दो ममता का आंचल,
मेरा हाथ पकड़ ले साई और शिरडी ले कर चल,