इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ

इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ,
अपनी सेवा में मुझको लगाना,
साथ तेरा कभी मैं न छोड़ू,
छोड़ दे चाहे मुझको ज़माना,
इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ......

जब भी जन्मू बनु दास तेरा तन मन अपना करू तुझको अर्पण,
तेरी सेवा ही मेरा धर्म हो बीत जाये यही सारा जीवन,
रात दिन मैं जपु तेरी माला,
इस कदर मुझको करदो दीवना,
साथ तेरा कभी मैं न छोड़ू,
छोड़ दे चाहे मुझको ज़माना,
इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ......

मांगता ही रहा हु मैं तुझसे अब तलक तो लिया ही लिया है,
भेट तुझसे चड़ाउ क्या मोहन जो भी है सब तेरा दिया है,
मांगने की तो आद्दत है मेरी काम तेरा ना खाली लौटना,
साथ तेरा कभी मैं न छोड़ू,
छोड़ दे चाहे मुझको ज़माना,
इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ......

तुम्हारे नाम की हाथो से ये पतवार न छूटे,
यही भव सिंधु करे पार ये अतवार न छूटे,
चढ़ा जो रंग भक्ति का मेरे करतार न छूटे,
ज़माना छूट जाये पर तेरा दरबार न छूटे,
इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ......

चरणों का अपने दास बना लो ना कुछ जायेगा तेरा कन्हियाँ,
तेरी नोकरी पा के मोहन पार हो जाएगी ये नैया,
करदो नरसी पे एहसान इतना ,
अपने चरणों में मुझको बिठाना,
साथ तेरा कभी मैं न छोड़ू,
छोड़ दे चाहे मुझको ज़माना,
इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ......

जताई अपनी हमदर्दी उठाया गिरते को जिसने,
करे निर्बल की जो रक्षा उसे बलवान कहते है,
कामना ना कोई मन में करे निस्वार्थ जो सेवा,
पराई पीठ अपनले उसे महान कहते है,
खिलाये भूखे को रोटी पिलाये प्यासे को पाने,
ढके तन दीं निर्धन का उसे ही दान कहते है,
वक़्त पर काम जो आये उसे इंसान कहते है,
बचाले डूबती किश्ती उसे श्री श्याम कहते है,
इतनी विनती है तुमसे कन्हियाँ......
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