खाटू में जबसे पैर पड़े है,
मेरे घर के बाहर श्याम खड़े है,
दुखडो को देखे ज़माना है बीता वरना बताओ कैसे मैं जीता,
जो उजले थे धागे सुलझने लगे है,
मेरे घर के बाहर...
दिखावो के साथी तुम्हे है मुबारक,
जिनकी बदौलत आया यहाँ तक,
के खाटू से जबसे रिश्ते जुड़े है,
मेरे घर के बाहर....
मुशीबत जो आये दूर से देखे,
दिल को मसोसे हाथो को मसले,
पवन के तो घर पे पहरे खड़े है,
मेरे घर के बाहर....