विश्वाश की डोरी टूटे न दरबार तुम्हारा छुटे न
चमत्कार कुछ ऐसा करो के बेटा तुझसे रूठे न
तेरी मेरी प्रीत पुरनी याद है या फिर भूल चुके
या बाबा आँखों में तुम्हारे बन कर के शूल चुबे
तूने लिखी थी किस्मत जो किसी और के हाथो टूटे न
चमत्कार कुछ ऐसा करो के बेटा तुझसे रूठे न
सदा ही रखा मान मेरा हर वक़्त हर घडी पग पग में
बनके लहू तेरी भगती संवारा बेहती थी मेरे रग रग में
तेरी किरपा से भरा जो गागर किसी भी कारण फूटे न
चमत्कार कुछ ऐसा करो के बेटा तुझसे रूठे न
मान लिया सब गलती मेरी मैं नालायक बेटा हु,
हाथ पकड़ के हाथ न छोड़ो माना सिक्का खोटा हु
तूने दिया है विकास को जो कुछ और कोई इसे लुटे न
चमत्कार कुछ ऐसा करो के बेटा तुझसे रूठे न