मुझे ये विश्वाश है कन्हियाँ कर्म तुम्हारा जरूर होगा,
तुम्हारी रेहमत की रोशनी से अँधेरा हर गम का दूर होगा,
मुझे ये विश्वाश है कन्हियाँ कर्म तुम्हारा जरूर होगा,
तेरी दया में कमी न कुछ थी लुटाई तूने तो खोल के दिल,
अगर ये झोली है फिर भी खाली तो मेरा कसूर होगा,
मुझे ये विश्वाश है कन्हियाँ कर्म तुम्हारा जरूर होगा,
तू बेकसों के दिलो में बस्ता किसी किसको ही ये खबर है,
धड़क रहा है जो मेरे दिल में जरूर तेरा नूर होगा,
मुझे ये विश्वाश है कन्हियाँ कर्म तुम्हारा जरूर होगा,
जो दुःख से लढ़ कर गिर पड़े थे सहारा देकर उठाया तूने,
तू बेकसों की करे हिफ़ायत क्यों तुम पे न गरूर होगा,
मुझे ये विश्वाश है कन्हियाँ कर्म तुम्हारा जरूर होगा,
गाजे सिंह को यहाँ कन्हैया तुम्हारे मंदिर सा लग रहा है,
तेरी इबादत की घुट पी थी,उसी का शयद सरूर होगा,
मुझे ये विश्वाश है कन्हियाँ कर्म तुम्हारा जरूर होगा,