माये मेरिये नी मक्खन चुरांदा है,
नी ओ भर भर मुट्ठियां खांदा है.....
वृंदावन बिच श्याम दा डेरा,
माए मेरिए नी बांसुरी बजांदा है,
माये मेरिये नी मक्खन चुरांदा है,
नी ओ भर भर मुट्ठियां खांदा है.....
हो यमुना किनारे बंसी बजावे,
माए मेरिए नी चीर चुरांदा है,
माये मेरिये नी मक्खन चुरांदा है,
नी ओ भर भर मुट्ठियां खांदा है.....
हो राह जांदी दी बाह मेरी पकड़े,
माए मेरिए नी मटकी गिरोंदा है,
माये मेरिये नी मक्खन चुरांदा है,
नी ओ भर भर मुट्ठियां खांदा है.....
हो राधा दे संग रास रचावे,
हो माए मेरिए नी मोर पंख लगांदा है,
माये मेरिये नी मक्खन चुरांदा है,
नी ओ भर भर मुट्ठियां खांदा है.....