आया हु मैं तेरे दरबार सांवरे,
सुनले न मेरी भी पुकार सांवरे,
तूने कैसी सांवरे दुनिया बनाई है,
अपनों से भी मुझे मिली रुसवाई है,
जग से गया हु मैं तो हार सांवरे,
सुनले न मेरी भी पुकार सांवरे,
मैंने तो सुना है श्याम हारे का सहारा है,
मेरी नाव का भी बड़ी दूर किनारा है,
हाथो में है तेरे पतवार सांवरे,
सुनले न मेरी भी पुकार सांवरे,
मुश्किल नहीं है मैंने माँगा है जो तुझसे,
कहता है नरसी मुख मोड़ा है मुझसे,
लौटा हु मैं खाली कई बार सांवरे,
सुनले न मेरी भी पुकार सांवरे....