ये कैसी लग्न तुमने हरि हमको लगा दी है,
घर बार तो चीज है क्या सारी दुनिया भुला दी है,
हरि नाम के प्याले में मस्ती ही मस्ती है,
कुछ मैंने पी ली है कुछ तुमने पिला दी है,
ये.......
बड़ी दूर चलके श्याम वृन्धावन आई हूं,
तेरे प्रेम की यमुना में मैंने डुबकी लगाई है,
ये.......
अबकी होली में ललिता सखी पागल हो जाती है,
मैंने बृंदावन गलियों में मैंने चुनरी भिंगो ली है,
ये.......
सब कहते हैं मुझको ये घर में नहीं रहती,
सारी दुनिया की बातों को मैंने यूं ही उड़ा दी है,
ये.......