कान्हा का मैं हुआ दीवाना जग की दौलत भाये न

कान्हा का मैं हुआ दीवाना जग की दौलत भाये न,
भगति का रंग चढ़ा है सिर पे पूजा करनी आये न,
कान्हा का मैं हुआ दीवाना जग की दौलत भाये न,

मथुरा वृद्धावन में ढूंढा कही मुझे तू भाता न,
मोहन मोहन रट ता फिरू मैं फिर भी कन्हैया आता न,
कहा छुपा है जाके गिरधर ,मुझको दर्श दिखाए न,
कान्हा का मैं हुआ दीवाना जग की दौलत भाये न,

तेरे नाम पे मीरा बाई पी गई थी विष का प्याला,
ऐसी किरपा करि सँवारे अमृत उसे बना डाला,
मुझपर भी कर नजर मेहर की राह मुझे कोई पाए न,
कान्हा का मैं हुआ दीवाना जग की दौलत भाये न,

लगी लगन मने बालक पण से ध्यान तेरा मने लगा लिया,
आठो पहर सुमिर सनवारियाँ मन में मंदिर बना लिया,
केशव गोविन्द की जिंदगियां कही बीत ऐसे जाए न,
कान्हा का मैं हुआ दीवाना जग की दौलत भाये न,
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