घर दे न मुकने कम वे चल वृद्धावन चलिए,
वृद्धावन चलिए बरसाने चलिए,
भजन बिना न सारी ज़िंदगी लंगा लई,
कुज रह गई कुज दुख ने खा लाई,
किसे काम आणि न चम् वे चल वृद्धावन चलिए ,
घर दे न मुकने कम,.......
गिन गिन मनके माला फेरे,की आउ दस ठाकुर तेरे,
छड़ चतुराइयाँ ला ले मन वे चल वृद्धावन चलिए ,
घर दे न मुकने कम,.......
दौलत जुड़ जाऊ शोरत जुड़ जाऊ,
किती करवाई सारी खु विच रुड जाऊ,
लेन जदो आ गए याम वे चल वृद्धावन चलिए ,
घर दे न मुकने कम,.......
बांके बिहारी जी दा दर्शन जे पाना,
श्री हरिदासी कोलो लेला सिरनामा,
संता दे फड़ लाई चरण वे,
चल वृद्धावन चलिए ,
घर दे न मुकने कम,.......