ब्रिज में होली खेल रहे है राधा कृष्ण मुराई,
रुत नाचन की आई रुत नाचन की आई,
ओ जुल्मी कन्हियाँ तेरी नित्यात लागे खोटी,
आती जाती पंहारन ने करदे लाल गुलाबी,
चुपके चुपके गेड़ा देवे नजर टिकावे खारी,
रुत नाचण की आई...
सखी सहेली राधा संग नाहा के खेले होली,
होली गावे चंग भजावे काली पीली होली,
अविर गुलाल खूब उड़ावे धरती पिली होली,
रुत नाचण की आई...
सखी सहेली गबराई देख के तोलो भरी,
मोको मिल जियो कान्हा ने भर पिचकारी मारी,
पानी की अब भोषारा में अँगियां गीली होई,
रुत नाचण की आई
मत ना छेड़े कान्हा देखे दुनिया सारी,
लाज शर्म चली गई तो फीकी हो जाये होली,
छोड़ कन्हैया मोरी कलाइयां मैं तो तोसे हारी,
रुत नाचण की आई
मंद मंद कान्हा मुश्कावे नैना चालकिटारी,
नैनो की अब भाषा समजी राधा जपतु मारी,
आगे आगे राधा बागी पीछे कृष्ण मुरारी,
रुत नाचण की आई
बरसाने की गली गली में धूम मची है भारी,
हारे रामा हारे कृष्णा सजन जय जय कारब होली,
दीपा राधे श्याम मिलादे ब्रिज में खेले होली,
रुत नाचण की आई