पंछी रे उड़ चल अपने देश

पंछी रे पंछी रे
उड़ चल अपने देश ओ रे पंछी रे,
जगत तो है प्रदेश पंछी रे उड़ चल अपने देश,

जग प्रदेश से उड़ना है तुझको.
प्रभु चरणों में जुड़ना है तुझको,.
आया तेरा सन्देश पंछी रे,
ऐ पंछी तेरा देश पराया,
आया वाहसे वही पे ऊजाया,
हे पंछी तेरा देश पराया,
जाए वही यहाँ से तू आया,
आया तेरा आदेश पंछी रे,
उड़ चल अपने देश.....

ऐ पंछी तेरी दर्द कहानी प्रदेश ने तेरी कदर न जानी
बन गया निठुर विदेश पंछी रे.
उड़ चल अपने देश.....

तेरे बिन लागे न मन तेरे बिन जीना भी क्या,
तेरे बिन जीना भी क्या क्या क्या,
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