उल्जनो की ये सुलझे घडी श्याम बजले घडी दो घडी,
श्याम सुमिरन का धन साथ देगा जग की माया कब रूठ जाये,
एक पल का भरोसा नहीं है सांस का तार कब टूट जाये,
ज़िंदगी मौत के दर खड़ी,
श्याम भजले घडी दो घडी....
साफ़ दिखखे गी सूरत प्रभु की मन के दर्पण का तुम मेल धो लो,
सबके दिल गंगा जल से लगेगे अपने मन की कपट गांठ खोलो,
छोड़ कर सारी धोखादड़ी,
श्याम भजले घडी दो घडी....
सौंप प्रभु पे सकल उलझने तू ग्रस्त चिंता में क्यों तेरा मन है,
सम्परदा सुख सुरयश देने वाला सिर्फ एक ये हरी का भजन है,
श्याम का नाम दौलत बड़ी,
श्याम भजले घडी दो घडी......