थारी सोनी सूरत दिल का चैन चुरावे से

मैं जब भी थारे आया,
जो माँगा था वो पाया,
अब मने समज ये आया झूठी है मोह और माया,
थारे द्वार पे आकर मस्ती चढ़ कर जावे से,
थारी सोनी सूरत दिल का चैन चुरावे से,

तू सब जाने से बाबा तने सबका वेरा से,
इस खातिर तेरे दर पर मने डाला डेरा से,
बिन थारे न अब कोई पार लगावे से,
थारी सोनी सूरत दिल का चैन चुरावे से,

मने फ़िक्र नहीं दुनिया की श्यरे आम ये कहता हु,
हर वक़्त मैं थारे भजनो में खोया सा रहता हु,
ये देख के दुनिया माहरी हसी उड़ावे से,
थारी सोनी सूरत दिल का चैन चुरावे से,

ना होना मुझे दूर कभी इस बात का डर सा है,
क्यों की थारी किरपा से मंदिर मेरा  घर सा है,
येही अर्ज करा के तू मुझसे रूठ न जावे से,
थारी सोनी सूरत दिल का चैन चुरावे से,
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