कैसी अध्भुत देखो आज रात आ गई,
संग भोले के भूतो की बरात आ गई,
पी भांग धतूरा बने पुरे जमूरा,
तन भस्म लगाए करे सांग जपुरा,
की बैल सवारी भोले भंडारी,
तीनो लोक के स्वामी बने केश मदारी,
कैसी ये अलग सौगात आ गई,
बम भोले के भूतो की बरात आ गई..
कई मुंडी नाचे कही पायल भाजे,
कई कई में कोई बिन पैर ही नाचे,
भूतो की टोली जय शम्भू बोली.
कैलाश पति है जिनके हम झोली,
ऐसे लगे आफत कोई आज आ गई,
बम भोले के भूतो की बरात आ गई..
बाई हाहाकारी भागे नर नारी,
क्या सांग रचाकर आये जग दारी,
ब्रह्मा मुस्काये विष्णु हर्षाये कोई राज छुपा है आँखों से बताये,
बड़ी ही अनोखी करा माता आ गई,
बम भोले के भूतो की बरात आ गई..