रखते हिसाब नही देते तौल के,
बाँटते खजानें शिव दिल को खोल के,
पीछे हटते दे के वरदान नहीं,
मेरे गिरिजापति सा दयावान नहीं,
कोई कैलाशपति सा दयावान नहीं......
सब पे ही दया मेरे भोले नाथ करते,
दे के वरदान, मुश्क़िल में भी फँसते,
भस्मासुर क्या तुम्हें ध्यान नहीं,
मेरे गिरिजापति सा दयावान नहीं.....
लंका सोने की दान रावण को कर दी,
झोली गंगा दे के, भागीरथ की भर दी,
भोले शिव का किस पे एहसान नहीं,
मेरे गिरिजापति सा दयावान नहीं.....
देवों में देव शिव शम्भू है निराले,
पीते ना नाथ मेरे विष के जो प्याले,
होता ये आज जहान नहीं,
मेरे गिरिजापति सा दयावान नहीं.....
राम कुमार ने गुण तेरा गाया,
रघुवंशी तेरी शरण में आया,
होने देता कभी परेशान नहीं,
मेरे गिरिजापति सा दयावान नहीं.....