नाच नाच के रिझाये सियाराम को मनाए,
इसे भाये नहीं दूजा काम...इसे तो बस राम चाहिए ।
इसे राम मिल जाये,आराम मिल जाये,
ये तो रटते हैं सुबहो शाम...इसे तो बस राम चाहिए ॥
बाबा के लिए राम नाम अनमोल है,
दुनिया मे नहीं कोई इसका मोल ।
इसे राम मिल जाये,तकदीर खुल जाए,
वो तो बोले राम नाम बार बार...इसे तो बस राम चाहिए ॥
बजरंगी तो बस राम का दीवाना,
उसके लिए तो बस यही है खजाना ।
इसे भक्त वही भाई,जो राम गुण गाए,
जहां राम है वही है हनुमान...इसे तो बस राम चाहिए ॥
मणियों की माला इसे रास नहीं आई,
ढूंढता रहा उसमे राम सिया माई ।
सियाराम को बताया सीना चीर के दिखाया,
ये है भक्तों में भक्त महान...इसे तो बस राम चाहिए ॥
स्वर-श्री विजय जी सोनी
संकलन-गिरधर महाराज
भाटापारा,छत्तीसगढ़
मो.9300043737