आज सोमवार है शिव शंकर का वार है,
ये सच्चा दरबार है श्रद्धा से जल जो भी चढ़ाये उसका वेडा पार है,
सोमवार को शिवमंदिर में भक्त कोई जो जाते है,
पाप ताप से मुक्ति पाते भाव सागर तर जाते है,
महिमा अप्रम पार है शिव शंकर ला वार है,
श्रद्धा से जल जो भी चढ़ाये उसका वेडा पार है,
सोलह सोमवार जो कन्या शिव का पूजन करती है,
मन चाहा इषुक वर वो शिव की किरपा से पाती है,
किरपा का भंगार है शिव शंकर का वार है,
श्रद्धा से जल जो भी चढ़ाये उसका वेडा पार है,
कानो के विशु के कुण्डल गल सर्पो की माला की,
तन पे विभूति माथे चंदा और पहनी मृगशाला है,
तुम्हारी जय जय कार है शिव शंकर का वार है
श्रद्धा से जल जो भी चढ़ाये उसका वेडा पार है,
भ्र्म जी को वेद दिए लंका रावण दे डाली है,
तीनो लोक में तुमसे बढ़कर दूजा कोई न दानी है,
नमन करे संसार है शिव शंकर का वार है,
श्रद्धा से जल जो भी चढ़ाये उसका वेडा पार है,