ये भांग ना घोटी जाए रे मेरी कमर टूट गयी हाए रे,
मैं भांग ना घोटूंगी हरगिज़ चाहे कुछ भी हो जाए रे,
ये भांग बहुत मुझे भाए रे इसके बिन रहा न जाए रे,
क्या बात हुई गोरा रानी मुझको कुछ समझ ना आए रे,
कोई कहता भंगारी तुम को कोई कहता बेरागी है,
ताने सुन कर दुनिया के तन मन में अग्नि लागी है,
मैं तो हारी समजा समजा अब कौन तुम्हे सम्जाये रे,
है कौन जरा बतला दो जो मुझको भंगरी कहता है,
चाहे जितनी पीलू मैं होश ठिकाने रहता है,
है कान की कची तू गोरा कोई तुझको बहकाए रे,
मैं भांग ना घोटूंगी हरगिज़ चाहे कुछ भी हो जाए रे,
क्या बात हुई गोरा रानी मुझको कुछ समझ ना आए रे,
न काम करू ना काज करू हर वक़्त नशे में रहते हु,
चल भंग घोट झटपट गोरा जब देखू ये ही कहते हो,
क्या भांग घोटने की खातिर तुम मुझको विव्ह कर लाये रे,
हे गोरा यु नराज न हो तू मुझको बेहद प्यारी है,
चल येही सोच ले तू मन में मुझको भांग बीमारी है,
ये नशा नही इक दवा है तन मन में जोश जगाये रे,
मैं भांग ना घोटूंगी हरगिज़ चाहे कुछ भी हो जाए रे,
क्या बात हुई गोरा रानी मुझको कुछ समझ ना आए रे,