पाके प्रेम वाली झांजर पैरी मैं वृन्दावन नचदी फिरा,
नचदी फिरा मैं तप्दी फिरा,
पाके प्रेम वाली झांजर पैरी.....
प्रेम वाली झांझर टूटे कदी न,
श्याम पिया मेरा रुसे कदे न,
कदी रुसे ते मैं ही मनावा,
मैं वृन्दावन नचदी फिरा....
राधा जी है मेरी प्रेम की सागर,
श्याम सूंदर मेरे नटवर नागर,
एहना दोना तो मैं वारि वारि जावा,
मैं वृन्दावन नचदी फिरा...
यह वृद्धावन प्रेम दी प्रेम दी नगरी,
एथे प्रेम दी गंगा वग दी,
मैं ते रज रज डुबकियां लावा,
मैं वृन्दावन नचदी फिरा,
पैरा विच गुंगुरु हाथ कड़ताला,
नच नच के सारे पान धमाला,
मैं वि मीरा वांगु गिद्दा पावा,
मैं वृन्दावन नचदी फिरा.....