मेरे लाल लाड़ली को झूला झुल्ला रहे है.
और गर्दन घुमा घुमा के नज़रे मिला रहे है
इस रूप के ववर में मद मस्त है बिहारी,
प्रिया यु की हर अदा पे कुर्बान जा रहे है,
गर्दन घुमा घुमा के ...
सावन की इस छटा में बिंदु की बरसे लड़ियाँ,
कही बीगहे न श्यामा प्यारी,
तो कामार ओडा रहे है,
गर्दन घुमा घुमा के नज़रे मिला रहे है
शीतल हवा में चुनरी श्यामा जू ही उड़ रही है,
चुरनी के छोर में वो मुखड़ा छुपा रहे है,
गर्दन घुमा घुमा के नज़रे मिला रहे है
इस संवारे सजन को राधे ने संग बिठाया,
राजीव क्या नजारा के सब लोग पा रहे है,
गर्दन घुमा घुमा के नज़रे मिला रहे है