मिल गया तेरे दर पे आकर

मिल गया तेरे दर पे आकर जो कभी सोचा न था,
हो गया वो मुझको हासिल जिसके मैं काबिल न था,
मिल गया तेरे दर पे आकर जो कभी सोचा न था,
हरी हरी बोलो हरी बोलो

हो गया एहसास मुझको बंदगी क्या चीज है,
तुमने हिरदये में लगाया हरी नाम का बीज है,
चैन से सोने लगा हु पहले मैं सोता न था.
मिल गया तेरे दर पे आकर जो कभी सोचा न था,

तेरे दर पे आके दाता बन गई पहचान है,
भूल पाउ न उम्र भर जो किया एहसान है,
याद करके मैं प्रभु को,
स कदर रोता न था
मिल गया तेरे दर पे आकर जो कभी सोचा न था,

कच्चा धागा हु प्रभु जी तोडा न देना मुझे,
छूट जाये प्राण तन से छोड़ न देना मुझे,
धो दिये सब पाप तुम ने जो कोई धोता न था,
मिल गया तेरे दर पे आकर जो कभी सोचा न था,
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