कान फड़के यशोदा पुछेया,
तू चोरी करना किथो सिखिया,
बाह फड़के यशोदा पुछेया,
तू चोरी करना किथो सिखिया,
माता यशोदा बनन लगी,
घर घर रसिया मंगन लगी,
रसिया सारी टूटन लगी,
सारे लोका ने मैनू पुछेया,
तू रूप बनाना किथो सिखिया,
कान फड़के.......
नन्द महर जेह्दा तैनू नही पुछदा,
चोरी करन ते तैनू नही रुक्दा,
माखन मिसरी खा के नही मुक्दा,
तेरी बदिया ने सानू कुटेया,
तू चोरी करना किथो सिखिया
कान फड़के.......
मार छलांगा अन्दर वडेया ,
माखन दा पेडा मुह विच तरिया,
मारी छलांगा बारा खड़िया ,
इक मटकी के दो दो कितिया,
तू चोरी करना किथो सिखिया
कान फड़के.........
जदो श्याम ने रूप बनाया,
तीन लोक उसदे मुह च समाया ,
डरी यशोदा देख के माया ,
हाथ जोडके खडी है यशोदा,
तू माफ कर मैनू बचिया
कान फड़के.........