सहे तो सहे कैसे दुःख इतने,
कहे तो कहे किस से गम अपने,
आखिरी है दर तेरा सोच के मैं आयी हु,
दुःख दर्द के सिवा कुछ भी न लाइ हु,
अंसुवन की केवल लगी है झड़ी,
सिर पे मुसीबत पड़ी है बड़ी,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने,
किया था भरोसा मैंने तेरी दुनिया दारी पे,
हस्ता है हर कोई मेरी लाचारी पे,
गिरते हुए को और गिराया खेल तो घटका समज ना आया,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने
कहते है लोग तुझे हारे का सहारा है,
नज़रे उठा के देखो श्याम तिहारा है,
अब फैंसला तुम ही करो ठुकरा दो या फिर बाहो में धरो,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने