करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी
श्यामा
करूणामयी किरपामयी, मेरी दयामयी राधे
मेरी दयामयी श्यामा,मेरी करूणामयी राधे
करूणामयी किरपामयी, मेरी दयामयी।
श्यामा
करूणामयी....
युगल नाम सों नैंम जपत,नित कुंज बिहारी
अबि लोकत रहें कैल सखि,सुख के
अधिकारी
गांन कला गन्धर्वं,श्याम श्यामा को तोसें
उतंम भोग लगायें,मौर मार्कट तिंम पोसें
न्रिपत द्वार ठाडे रहे,दर्शन आशा जासू की
आसूधीर उद्धोतकर,रसिक छाप हरिदास
की
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी राधे
मेरी दयामयी श्यामा,मेरी करूणामयी राधे
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी
श्यामा
करूणामयी....
धन वृन्दावन धाम हैं,धन वृन्दावन नाम
धन वृन्दावन रसिक जन,जे सुमरें श्यामा-
श्याम
प्रिया लाल राजे जहां,तहां वृन्दावन जांन
वृन्दावन तज एक पग जायें ना रसिक
सुजांन
जो सुख वृंन्दा विपिन में,अंत कहूं सों नाई
वैकुंन्ठो फिको पड़ो,ब्रज़ जुबति ललचाय
वृन्दावन रस भुमि में,रस सागर लहराये
श्री हरिदासी लाड़ सों,बरसत रंग अथाये
नमो नमो जय श्री वृन्दावन,रस बरस
घनघोरी
नमो नमो जय कुंज महल नित,नमो नमो
जावें सुख होरी
नमो नमो श्री कुंज बिहारिंन,नमो नमो
प्रियतम चितचोरी
नमो नमो जय श्री हरिदासी,नमो नमो इनहि
की जोरी
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी
श्यामा
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी राधे
मेरी दयामयी श्यामा,मेरी करूणामयी राधे
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी
श्यामा
करूणामयी....
स्वामिनी अपनें अमर प्यार की,एक बुंद
छलका दो,
बिहारी जू सों मेरे मिलन की,दो बातें करवा
दो
विरह वैदना से टुटी,इन तारों को झंनका दो
रोम-रोम हो गिरा नाम रस,उन्मद नाच नचा
दो
एक बुंद छलका,दो बातें करवा दो
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी
श्यामा
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी राधे
मेरी दयामयी श्यामा,मेरी करूणामयी राधे
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी।
श्यामा
करूणामयी....
मौर जो बनावो तो बनावो श्री वृन्दावन को,
नाच-नाच कौंक-कौंक तुम्हीं को रिझाऊंगो
बन्दर बनायो तो बनावो श्री निद्धिवन को,
कुद-कुद फांद वृक्ष जौंरन दिख़ाऊंगो,
भिक्षुक बनायो तो बनावो बृज़ मण्डल
को,
टुक हरि भक्तंन सों मांग-मांग खाऊंगों
भ्रगिंको करो किर्र,करो कालिंदी के करो
तीर
आठों याम श्यामा-श्याम श्यामा-श्याम
गाऊंगो
एक बार अयोध्या जाऊं दो बार द्वारिका,
तीन बार जाके त्रिवेणी में नहायोगे
चार बार चित्रकूट नो बार नासिक में,
बार-बार जाके बद्रीनाथ घुंम आओगे
कोटि बार काशी कैदारनाथ रामेश्वर में,
गया जगन्नाथ याद चाहे जहां जाओगे
होते हैं प्रतक्ष यहां दर्श श्याम-श्यामा के,
वृन्दावन सा कहीं आनंन्द नहीं पाओगे
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी
श्यामा
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी राधे
मेरी दयामयी श्यामा,मेरी करूणामयी राधे
करूणामयी किरपामयी,मेरी दयामयी
श्यामा
करूणामयी....