सियो सुपना सुनावा कल रात दा,
गुरां नाल गल्लां कितियाँ,
नि मैं सुपने च होई गल बात दा,
सुपना सुनावा कल रात दा.....
सतगुरु आ गए मेरे वेहड़े चानन होया चार चुफेरे,
आंख खुली टा वेहला परभात दा,
गुरां नाल गल्लां कितियाँ,
नि मैं सुपना....
सतगुरु आ गये मेरे भुहे दर्शन कर ले मेरी रूहे,
अंख खुली ता वेला परवाह्त दा,
गुरां नाल गल्लां कितियाँ,
नि मैं सुपना....
सतगुरु आ गये मेरे अंदर मैं ता हो गई मस्त कलंधर,
अख खुली ता वेडा परवाह्त दा,
गुरां नाल गल्लां कितियाँ,
नि मैं सुपना....
जद मैं वेखियाँ आखा खुल सतगुरु बेठे मेरे कोल,
एह ता वेला सी पहली मुलाकात दा,
गुरां नाल गल्लां कितियाँ,
नि मैं सुपना....