किसकी शरण में जाऊं अशरण शरण तुम्ही हो ॥
गज ग्राह से छुड़ाया प्रह्लाद को बचाया
द्रोपदी का पट बढ़ाया निर्बल के बल तुम्ही हो ॥
अति दीन था सुदामा आया तुम्हारे धामा
धनपति उसे बनाया निर्धन के धन तुम्ही हो ॥
तारा सदन कसाई अजामिल की गति बनाई
गणिका सुपुर पठाई पातक हरण तुम्ही हो ॥
मुझको तो हे बिहारी आशा है बस तुम्हारी
काहे सुरति बिसारी मेरे तो एक तुम्ही हो ॥
द्वारा़ :योगेश तिवारी