मुरली बैरन भई,
हो कन्हीया तेरी मुरली बैरन भई |
बावरी मै बन गयी,
कन्हीया तेरी मुरली बैरन भई ||
वृन्दावन की कुंज गली मे राधा गयी दिल हार |
अब अखियन की मस्त गली मे कन्हीया फिरे बार बार |
सोतन मेरे मन को हर गयी ||
प्यार जाता के तन मन लूटा,
पीछे पड़ा बईमान |
यमुना तट पर ले गया नटखट,
मधुर सुनाई तान |
जिगर के पार उतर गयी रे ||