दर पे माता के ममता बरसती है,
जो पुकारे उसी की सुनती है,
उसे दौलत से कोई क्या रिजायेगा,
सब उसका उसे क्या दे पायेगा,
हर नजर की खबर झोली भर्ती है,
जो पुकारे उसी की सुनती है,
दर पे माता के ममता बरसती है,
जग के रिश्ते यहाँ तक जुबना है,
पर मैया की डगर तो रूहानी है,
ममता प्रेम और तड़प से झलक ती है,
जो पुकारे उसी की सुनती है,
दर पे माता के ममता बरसती है,
सारे रस्मो से लेले तू जुदाई रे,
इनसे ना मिले गई कोई भी खुदाई रे,
भाव की देवी भाव में मिलती है,
जो पुकारे उसी की सुनती है,
दर पे माता के ममता बरसती है,
माँ की बंदगी में जिंगदी का राज है,
दिल की धड़कनो में जामा की आवाज है,
शारदे माई सार दे भाव तरती है,
जो पुकारे उसी की सुनती है,
दर पे माता के ममता बरसती है,