शिरड़ी न आऊ तो जी गबराता है

शिरड़ी न आऊ तो जी गबराता है,
ये तेरी किरपा है तू ही भुलाता है,
शिर्डी आकर दिल को मेरे चैन आता है,
शिरड़ी न आऊ तो जी गबराता है,

चाँद हो या तारे या फूल तारे लगते नही है अब मुझको प्यारे,
जब से निहारी सूरत तुम्हारी चड़ने लगी साईं नाम की खुमारी,
ये तेरा मुखड़ा ही मुझको भाता है,
देख के तुझको मन को मेरे चैन आता है,
शिरड़ी न आऊ तो जी गबराता है,

नाम कोई मुश्किल ना कोई उज्लन,
भागे उदासी बोजिल न हो मन,
आके यहाँ मैं तुझमे खो जाता तुझे देख कर मेरा मन मुश्करता,
मुझपे तो बाबा तू प्यार लुटाता है,
देख के तुझको मन को मेरे चैन आता है,
शिरड़ी न आऊ तो जी गबराता है,

जब से मिला है शिरडी का द्वारा तब से बना मैं सब का ही प्यारा,
आनदं ही आनदं मिलता यहाँ है शिरडी सी मस्ती और कहा है,
इसलिए रणजीत तेरे दर पे आता है,
देख के तुझको मन को मेरे चैन आता है,
शिरड़ी न आऊ तो जी गबराता है,
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