साई के चरणों को छूकर, पवन सुहानी आई है,
लगता शिरडी से मेरा संदेसा वो लाई है,
बुलावा आया है, साईं ने बुलाया है…..
इस माटी के कण कण में मेरे साईं राम बसे हैं,
उस शिरडी के दर्शन को कबसे, ये नैना तरसे हैं,
साईं नाम की कबसे मैंने, मन में जोत जगाई है,
लगता शिरडी से मेरा संदेसा वो लाई है,
बुलावा आया है, साईं ने बुलाया है…..
श्रद्धा और सबुरी साईं मेरे मन बस जाएँ,
मन का इकतारा साईं बस तेरा ही नाम गाएँ,
इक साईं के नाम से ही, मैंने लगन लगाईं है,
लगता शिरडी से मेरा संदेसा वो लाई है,
बुलावा आया है, साईं ने बुलाया है…..
चरण धूली साईं बाबा की सबके भाग जगाए,
साईं समाधि मैं भी देखूँ जाने कब दिन आए,
बेटी की सुन ली बाबा ने, मुझे आवाज लगाईं है,
लगता शिरडी से मेरा संदेसा वो लाई है,
बुलावा आया है, साईं ने बुलाया है…..